गाथा
प्रकाशन एक व्यावसायिक प्रकाशन गृह न होकर
लेखकों का अपना प्रकाशन गृह है। यहाँ लेखक अपनी कृति अपने सौजन्य से प्रकाशित करने
के प्रति उद्यत हैं। हमारा उद्योग साहित्य संवर्धन है,
न
कि व्यावसायकिता। गाथा प्रकाशन हिंदी, बंगाली,
राजस्थानी,
मराठी,
उड़िया,
असमिया,
अवधी,
भोजपुरी,
गुजराती,
कन्नड़,
कश्मीरी,
कोंकणी,
मलयालम,
मणिपुरी,
नेपाली,
पंजाबी,
संस्कृत,
सिंधी,
डोगरी,
तमिल,
तेलगू,
उर्दू,
बोडो,
संथाली,
मैथली
तथा अन्य भाषाओं की उन उल्लेखनीय कृतियों के प्रकाशन के प्रति खासकर उत्साहित है,
जिन
कृतियों के आने से हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं की साहित्यिक समृद्धि का विस्तार
और प्रसार हो सके। साथ ही साथ ‘गाथा प्रकाशन’ समसामयिक विषयों के प्रति भी जागरूक
है और उन विषयों का भी प्रकाशन समय-समय पर करेगा। साहित्य सहकार का यह उपक्रम आपके
प्रोत्साहन से और विकसित हो, यही
आशा और विश्वास है।
उद्देश्य
: प्रकाशन ही वह विधा है जो समाज में परिवर्तन लाने में
मदद करती है। इसके द्वारा मनोरंजन, विचारों का आदान-प्रदान, इतिहास का संरक्षण
होता है। व्यावसायिक प्रोत्साहन में भी इसकी भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है। प्रकाशन
के माध्यम से ही साहित्यिक, सांस्कृतिक विकास, स्वतंत्र विचारों का प्रसार, शिक्षा
और जागरूकता बढ़ाने में मदद मिलती है। सामाजिक चेतना का विस्तार करना भी इसी के
माध्यम से संभव हो पाता है। ज्ञान और सूचनाओं को व्यापक दर्शकों तक
पहुँचाना ‘गाथा प्रकाशन’ का उद्देश्य है।
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